गीता जयंती महत्व एवं कथा

December 4, 2019
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December 4, 2019

परिचय :
गीता जयंती एक प्रमुख पर्व है, जिसे श्रीमद्भगवद् गीता के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है । यह दिन मार्गशीर्ष माह की शुक्ल एकादशी को पड़ता है। गीता जयंती को मोक्षदायिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह वह पवित्र दिन है, जब कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को अमर संदेश दिया था। गीता जयंती मनाने का मुख्य उद्देश्य गीता के शब्दों को याद करना और इसे हमारे दैनिक जीवन में लागू करना है। यह व्यक्तियों और परिवारों को साहसी होने के साथ-साथ एक सक्रिय जीवन जीने की अनुमति देता है । इस वर्ष 8 दिसंबर 2019 के दिन गीता जयंती का महोत्सव मनाया जाएगा ।

गीता जयंती पर श्रीकृष्ण ने दिया था अर्जुन को गीता का संदेश :
श्रीमद्भगवद् गीता हिन्दू धर्म का बहुत ही प्रमुख ग्रंथ है। महाभारत युद्ध में जब पांडव और कौरव आमने-सामने हुए थे तो अपने सगे संबंधियों के खिलाफ शस्त्र उठाने को लेकर अर्जुन असमंजस में आ गए थे। अर्जुन को इस मोह और दुविधा से निकालने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को नीति ज्ञान दिया। इस नीति ज्ञान का संकलन श्रीमद्भगवद् गीता के नाम से जाना जाता है।

पूजा विधि :
गीता जयंती के दिन स्नान करने के बाद पूजा स्थल में पीले रंग के वस्त्र के आसन पर श्रीमद्भगवद् गीता ग्रन्थ को स्थापित करें ,स्थापित करने के बाद हल्दी, कुमकुम धूप दीप , पुष्पों से विधिवत पुजन करें ।भगवान श्री कृष्ण को निमित्त नैवेद्य का भोग भी लगाए । विधि विधान से पूजन करने के बाद शांत मन से श्रीमद्भगवद् गीता का पाठ करें ।

गीता जयंती महत्व :
शास्त्रों में बताया गया है कि जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करता है और भगवत गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करता है उसके कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। श्रीमद्भगवद् गीता में अठारह अध्याय हैं। इनमें ग्यारहवें अध्याय में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को विश्वरूप के दर्शन का वर्णन किया गया है।

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