दीपावली के पांच दिन के कथानक

October 21, 2019
Share on
October 21, 2019

दीपावली अर्थात “रोशनी का त्यौहार” शरद ऋतु में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिंदू त्यौहार है। इस दिन भगवान् राम, अपनी पत्नी सीता एवं अपने भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास बिताकर अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दिये जलाकर प्रकाशोत्सव मनाया था। इसी कारण इसे ‘प्रकाश के त्यौहार’ के रूप में मनाते हैं।
इस वर्ष दिवाली २७ अक्टूबर को मनाई जाएगी।

इस त्यौहार के कई दिन पहले से तैयारियाँ शुरू कर दी जाती हैं | यह त्यौहार भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है | ऐसा माना जाता है की इस दिन लक्ष्मी माता हमारे घर प्रवेश करती हैं | और इसलिए १५-२० दिन पहले से ही घर की साफ़ सफाई की जाती है, पुताई भी करवाई जाती है एवं अनेक खाद्य पदार्थ जैसे मिठाई, मठरी, गुजिया, चकली इत्यादि बनाई जाती है | यह सभी पकवान दीपावली वाले दिन माता लक्ष्मी को अर्पित किये जाते है | इस दिन नए कपड़े पहनने की मान्यता है और पठाखे भी फोड़े जाते हैं | घर में दीप जलाकर रौशनी की जाती है | सभी जानने वाले एक दूसरे को बधाई देते हैं और छोटे बड़ो का आशिर्वाद लेते हैं |
दीपावली ५ दिन तक मनाया जाने वाला त्यौहार है और हर दिन की अपनी एक मान्यता है|

दिवाली दिवस १ : धनतेरस

धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी की पूजा होती है। भगवान धन्वंतरि, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान उभर कर बहार आये थे, उनके एक हाथ में अमृत से भरा कलश और दूसरे हाथ में आयुर्वेद के बारे में पवित्र पाठ था। उन्हें देवताओं का वैद्य माना जाता है।

दिवाली दिवस २ : नरक चौदस

इसे काली चौदस या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण और देवी काली ने नरकासुर के बुरे कर्मों

को मारकर समाप्त कर दिया। यह त्यौहार उनकी जीत की याद दिलाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने राक्षस को मारने के बाद, ब्रह्म मुहूर्त के दौरान, तेल स्नान किया था। यही कारण है कि पूर्ण अनुष्ठान के साथ सूर्योदय से पहले तेल स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है।

नरक चतुर्दशी एक शुभ दिन है जो सभी बुरीऔर नकारात्मक ऊर्जाओं को जीवन से निकाल देता है। यह नई शुरुआत का दिन है जब हम अपने आलस्य से मुक्त होकर एक उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य की नींव रखते हैं।

दिवाली दिवस ३ : दीपावली / लक्ष्मी पूजन

यह माना जाता है कि दिवाली, भगवान राम जो श्री विष्णु का अवतार माने जाते हैं, 14 साल के वनवास के बाद, माता सीता को बचाने और राक्षस रावण को मारने के बाद, अयोध्या लौट कर आये थे। तब अपनी ख़ुशी जाहिर करने के लिए और भगवान् राम को सम्मान देने के लिए अयोध्या वासियों ने अयोध्या नगरी को मिट्टी के दीयों से रोशन किया था एवं आतिशबाजी की थी | आज तक यह प्रथा का पालन किया जाता है और जश्न मनाया जाता है |

दिवाली दिवस ४ : गोवर्धन पूजा

भगवान कृष्ण ने अपना अधिकांश बचपन ब्रज में बिताया है। एक दिन उन्होंने ग्रामीणों को भगवान इंद्र की बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का सुझाव दिया, क्योंकि उनका मानना था कि गोवर्धन पर्वत वह है जो प्राकृतिक संसाधनों जैसे हरी घास, प्राकृतिक ऑक्सीजन आदि प्रदान करता है। जब ग्रामीणों ने उनका अनुसरण किया, तो भगवान इंद्र उग्र हो गए और अहंकारपूर्ण क्रोध के प्रतिशोध में सात दिनों तक गोकुल में भारी बारिश करते रहे। लोगों को तूफान और भारी वर्षा से बचाने के लिए, श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और शहर के सभी लोगों और मवेशियों को

आश्रय दिया। बाद में भगवान इंद्र ने अपनी हार स्वीकार कर ली और अब इस दिन को हर साल गोवर्धन पूजा और गाय की पूजा करके मनाया जाता है।

दिवाली दिवस ५ : भाई दूज

एक गाँव में एक परिवार रहता था, जिसमें दो बच्चे थे, एक बड़ी बहन और एक छोटा भाई। बहन की शादी हो गई और बढ़ती उम्र के साथ भाई को उसकी याद आने लगी। अपनी माँ से पूछने पर, उन्होंने बताया कि उसकी बहन कभी उनसे मिलने इसलिए नहीं आई क्योंकि 2 गाँवों के बीच एक खतरनाक और डरावना जंगल था। फिर भी भाई ने अपनी बहन से मिलने और जाने का फैसला किया और जंगल के रास्ते जाते समय, उसने सांप, पहाड़ आदि से प्रार्थना की और उसे अपनी बहन से एक बार मिलने और वापस लौटने पर उसे खाने के लिए अनुरोध किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।

अंत में वह अपनी बहन से मिला, बहन ने बड़ी ख़ुशी से उसे गले लगाया और देखभाल और स्नेह के साथ व्यवहार किया। वापस लौटते समय भाई ने अपनी बहन को जंगल की कहानी सुनाई और बहन ने जंगल में अपने भाई के साथ जाने का फैसला किया। उसने सांप को दूध, बाघ को मांस, पहाड़ को धातु व् फूल चढ़ाया और सभी ने उसके भाई को जीवित छोड़ दिया। यात्रा के दौरान उसे प्यास लगी और जब वह पानी पीने के लिए गई तो जिप्सी ने उसे बताया कि उसका भाई अभी भी सुरक्षित नहीं है और उसे बचाने के लिए उसे श्राप देने और उसे गाली देने की जरूरत है, यह भी बताया की उसकी शादी करवाओ और उसके साथ निभाई जाने वाली सभी रस्मों और रीति-रिवाजों को स्वयं के साथ पहले करने की मांग करो। उसने सभी निर्देशों का पालन किया। लड़की का ऐसा व्यवहार देख उसका भाई, परिवार और ग्रामीण परेशान हो गए, लेकिन जब उसने सभी को सच्चाई बताई, तो उसने सभी से प्रशंसा अर्जित की। फिर भाई ने प्रार्थना की कि हर भाई को ऐसी स्नेह करने वाली बहन मिले और इस दिन से भाई दूज का समारोह मनाया जाने लगा।

Get updates from MDPH

Discounts, Product Launch, News Alerts, etc

Thank you! Your submission has been received!
Oops! Something went wrong while submitting the form.